हिलती है ज़मीन , रोता है फलक : सौज : ज्योति बावरी
इमाम ए हुसैन (ए .स .) की ज़ात ए गेरामी फिरका ओ मज़हब के इम्तियाज़ से बरी है . वाक़ेय कर्बला के बाद से यह शहीद ए इंसान...
https://www.qummi.com/2010/12/blog-post_16.html
वाक़ेय कर्बला के बाद से यह शहीद ए इंसानियत तमाम आलम से खिराज ए अकीदत हासिल कर रहा है .
अहले हुनूद की इमाम हुसैन (ए .स .) से अकीदत कोई नई बात नहीं है .
सदीओ से वोह हुसैन का ग़म मनाते आ रहे हैं . उनके जज़्बात की क्या खूब तर्जुमानी जनाब दिबाकर राही * साहब ने की है :
तुम मिटे , लेकिन तुम्हें मिटने ना देंगे एय हुसैन
वोह तुम्हारा काम था , और यह हमारा काम है .
पिछले बरस सोअज्ख्वानी की यिक विडियो "हिन्दू खातून " के उन्वान से लखनऊ की मोहतरमा सुनीता झिंगरन को लोगों ने काफी पसंद किया .
आज मैं कोल्कता की मोहतरमा जयति बावरी साहेबा की ३ audios पेश कर रहा हूँ . आप NGOs के लिए काम करती हैं ,या यूं कहिये के ख़ल्क़ ए खुदा की खिदमत करती हैं .
तुम मिटे , लेकिन तुम्हें मिटने ना देंगे एय हुसैन
वोह तुम्हारा काम था , और यह हमारा काम है .
पिछले बरस सोअज्ख्वानी की यिक विडियो "हिन्दू खातून " के उन्वान से लखनऊ की मोहतरमा सुनीता झिंगरन को लोगों ने काफी पसंद किया .
आज मैं कोल्कता की मोहतरमा जयति बावरी साहेबा की ३ audios पेश कर रहा हूँ . आप NGOs के लिए काम करती हैं ,या यूं कहिये के ख़ल्क़ ए खुदा की खिदमत करती हैं .
जिस ख़ूबसूरती से उन्हों ने पढ़ा है , उस से कर्बला वालों से उनकी अकीदत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है .
क्या क़त्ल हुएय , उट्ठो अकबर , मान कायद से जाने वाली है
खेमे से सदा दी बानो ने , असग़र को छुपा लीजे मौला
पानी के एइवज़ फ़ौज ए अदा , अब तीर चलाने वाली है
घोअरे से गिरे जब शाह ए हुदा , ये खेमे के दर से आई सदा
घर लूट के नाना की उम्मत , अब आग लगाने वाली है
वोह तेरा हुमकना झूले में , वोह बाल झंडूले , लाल तेरे
मादर के लिए हर बात तेरी , असग़र तरपाने वाली है
बच्चों के लिए अब्बास ए जरी , अब पानी लाने आएय हैं
बे ’ताबी से मश्कीज़ेय में , हर मौज समाने वाली है